यूक्रेन युद्ध का यूरोप पर प्रभाव: आर्थिक संकट की आहट
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यूक्रेन युद्ध का यूरोप पर प्रभाव: आर्थिक संकट की आहट
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध का असर केवल इन दोनों देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने यूरोप की पूरी अर्थव्यवस्था को गहरे संकट में डाल दिया है। 7 अक्टूबर 2024 को जारी यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप की आर्थिक वृद्धि दर में बड़ी गिरावट आई है और महंगाई दर उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। यूरोप के कई देशों में मंदी के संकेत मिलने लगे हैं, जो इस क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है।
इस युद्ध के कारण न केवल ऊर्जा संकट उत्पन्न हुआ है, बल्कि खाद्य सामग्री की आपूर्ति भी बाधित हुई है। रूस से गैस की आपूर्ति बंद होने के बाद यूरोप के देशों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तलाश करनी पड़ी, जिससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ गई हैं। इससे उद्योग जगत पर भी गहरा असर पड़ा है। कई कंपनियों को अपनी उत्पादन लागत में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में भी इजाफा हुआ है।
खाद्य संकट की बात करें, तो यूक्रेन को दुनिया के प्रमुख गेहूं निर्यातकों में गिना जाता है। युद्ध के कारण इस देश से खाद्य आपूर्ति बाधित हुई है, जिसका प्रभाव दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा रहा है। यूरोप में खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी वृद्धि हो चुकी है, जिससे महंगाई का दबाव और बढ़ गया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति अगले कुछ महीनों तक जारी रह सकती है।
यूरोपियन यूनियन (EU) और नाटो देशों ने इस युद्ध के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं और रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन इन प्रतिबंधों का असर अब खुद यूरोप पर भी पड़ रहा है। ऊर्जा संकट से निपटने के लिए यूरोप ने हाल ही में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, लेकिन इसका असर दिखने में समय लगेगा।
इसके अलावा, युद्ध के चलते प्रवासियों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है। लाखों यूक्रेनी नागरिकों ने यूरोप के विभिन्न देशों में शरण ली है, जिससे उन देशों की स्वास्थ्य सेवाओं और आवास व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ा है। यूरोपियन यूनियन इस मुद्दे से निपटने के लिए शरणार्थी नीति में सुधार करने पर विचार कर रही है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर यह युद्ध जल्द खत्म नहीं हुआ, तो यूरोप को आने वाले समय में एक बड़े आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। ECB की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगले साल तक यूरोप में आर्थिक मंदी के आसार हैं। इस संकट से उबरने के लिए यूरोप को ठोस कदम उठाने होंगे, खासकर ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में। युद्ध की स्थिति को देखते हुए फिलहाल कोई भी यूरोप की अर्थव्यवस्था के लिए आशावादी दृष्टिकोण नहीं अपना रहा है, और यह क्षेत्र आने वाले समय में और कठिनाइयों का सामना कर सकता है।