भारत में मानसून की समाप्ति: फसल उत्पादन पर प्रभाव और कृषि नीतियों की समीक्षा
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भारत में मानसून की समाप्ति: फसल उत्पादन पर प्रभाव और कृषि नीतियों की समीक्षा
भारत में मानसून की समाप्ति हो चुकी है, जो किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस वर्ष का मानसून कई क्षेत्रों में बेमौसमी बारिश और बाढ़ की वजह से किसानों के लिए चुनौतियों का सामना करने वाला रहा है। जबकि कुछ राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश हुई, वहीं कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति बनी रही। यह स्थिति विशेष रूप से रबी फसलों की बुवाई के समय परेशानियों का कारण बन रही है।
इस वर्ष के फसल उत्पादन पर इस मानसून का गहरा असर पड़ा है। खाद्य उत्पादन में गिरावट आई है, जो पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर किसानों के लिए और भी गंभीर हो गया है। सरकार ने किसानों के लिए फसल बीमा योजनाएँ लागू की हैं, लेकिन इन योजनाओं की पहुँच और क्रियान्वयन में कई समस्याएँ हैं। किसानों का कहना है कि मुआवजा समय पर नहीं मिलता, और उन्हें विभिन्न प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
विभिन्न कृषि नीतियों की समीक्षा की जाने की आवश्यकता है। समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर भी किसान आंदोलनरत हैं। सरकार को चाहिए कि वह MSP को और अधिक पारदर्शी और लाभकारी बनाए, ताकि किसान अपनी फसल बेचने के लिए बाजार पर निर्भर न रहें। इसके अलावा, तकनीकी सहायता और कृषि अनुसंधान में सुधार की आवश्यकता है, ताकि किसान नई तकनीकों का उपयोग कर सकें।
कृषि क्षेत्र में सुधार लाने के लिए स्थायी और सतत कृषि प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है। किसान यदि जैविक खेती और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन का उपयोग करते हैं, तो वे अपनी उपज बढ़ा सकते हैं और प्राकृतिक आपदाओं से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं। इसके साथ ही, कृषि शिक्षा को भी बढ़ावा देने की आवश्यकता है, ताकि युवा पीढ़ी कृषि को एक स्थायी पेशे के रूप में अपनाए।