जाट वोट बैंक किसके साथ? जातिगत समीकरण से बदल सकते हैं नतीजे
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जाट वोट बैंक किसके साथ? जातिगत समीकरण से बदल सकते हैं नतीजे
हरियाणा चुनाव 2024 में जातिगत समीकरण एक बार फिर अहम भूमिका निभा रहे हैं, खासकर जाट वोट बैंक को लेकर। राज्य की राजनीति में जाट समुदाय का बड़ा प्रभाव रहा है, और इस बार भी यह चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
जाट वोट बैंक का महत्व
हरियाणा की लगभग 25% आबादी जाट समुदाय से आती है, और यह राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है। भाजपा, कांग्रेस, और जजपा सभी ने इस समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए जोरदार प्रचार किया है। एग्जिट पोल के अनुसार, जाट बहुल इलाकों में इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, जहां कांग्रेस और जजपा ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।
भाजपा की स्थिति
पिछले चुनाव में भाजपा ने जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश की थी, लेकिन इस बार उसे इस समुदाय से विरोध का सामना करना पड़ सकता है। किसान आंदोलन के बाद से जाट मतदाताओं में भाजपा के खिलाफ नाराजगी बढ़ी है। हालांकि, भाजपा ने इस समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की है।
कांग्रेस और जजपा का फायदा
कांग्रेस और जजपा, दोनों ने जाट वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए अपने चुनावी एजेंडे तैयार किए हैं। कांग्रेस ने किसान आंदोलन और महंगाई के मुद्दों को उठाकर जाट मतदाताओं को अपनी तरफ खींचा है। वहीं, जजपा ने भी इस समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने वादों को रखा है।
जातिगत समीकरण से चुनावी नतीजे प्रभावित
जाट वोट बैंक का रुझान इस बार के चुनावी नतीजों को बड़ी हद तक प्रभावित कर सकता है। अगर जाट मतदाता कांग्रेस और जजपा के पक्ष में जाते हैं, तो भाजपा के लिए सत्ता में वापसी करना मुश्किल हो सकता है।